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शकुन्तला शर्मा ।
जिन्दगी भर दौड़ते रहे हम मंजिल की तलाश में। ना मंजिल मिली और ना कुछ भी रहा पास में ॥ अजनबी शहर में निकले जीने की एक आस में। ढलती उम्र में होश आया सपने मिल गये खाक मे ॥
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December 21, 2021
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