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शकुन्तला शर्मा ।
ये काले बादल अपने तन में भरकर शीतल जल । किसी सूखे खेत खलिहान को हरा कर जायेगे ॥ दर्द सहकर आपस प्यास ओरो की बुझा जायेगे । तन के काले मन के उजले ये बादल कहलायेगे ॥ ना कोई शिखवा ना शिकायत इनको इस जहां में धरती और गगन के आगोश में कही खो जायेगे ॥ .
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December 23, 2021
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